Saturday 12 December 2015

flood of Chennai a boon or a curse

हिंदी भाषा में एक कहावत है की ''जैसा तुम बोओगे वैसा ही तुम काटोगे '' अर्थात तुम जैसा काम करोगे तुम्हे उसके वैसे ही परिणाम मिलेंगे ठीक उसी प्रकार मानव द्वारा प्रकृति के साथ की गयी छेड़ छाड़ का ही परिणाम है की आज प्रतिवर्ष भारत ही नहीं वरन दुनिआ का हर देश  प्रकृति द्वारा दी गयी असहनीय प्राकृतिक आपदाओ से परेशान है चाहे उसमे जम्मू कश्मीर में आई बाढ़ हो या उत्तराखंड में आई त्रासदी या हल ही में चेन्नई में आई प्राकृतिक आपदा ..






प्रतिवर्ष प्रकृति द्वारा अपने आप में मनुष्य को सावधान होने के तरह तरह संकेत मिलते रहते है परन्तु मनुष्य है कि हमेशा से अपने कार्यों पर गौरवान्वित होता हुआ अपनी नासमझी का परिचय देने में ही अपनी महानता समझता है परन्तु फिर भी दुनिया के हर क्षेत्र में लहराते मानव का परचम भी कुदरत के सितम के सामने बौना नजर आता है 




मनुष्य यह भूल गया है कि आज वह चाँद पर पहुंच जाये या मंगल पर या फिर वह विज्ञानं के हर क्षेत्र में प्रगति करने वाला यही मानव ,प्रकृति द्वारा दी जाने वाली आपदाओ में बेबस नजर आता है हर तरफ दुःख, दर्द , मातम और तबाही के मजार के बीच में हर तरफ असहाय नजर आता है यह खौफ नाक मजार तब और भी दयनीय हो जाता है जब सोना उगलने वाली धरती मानव जाती का विनाश करने पर उतारू हो जाती है 





यही नही इसके अलावा प्रत्येक प्राकृतिक आपदा में राष्ट्र कि अर्थव्यस्था के विकास कि गति में भी बाधा उत्पन्न होती है उसी के फलस्वरूप एक विकसित देश विकासशील देशों कि गिनती में आ जाता है हर एक आपदा में अमूल्य मानव जीवन का असमय काल के मुह में चले जाना चिंताजनक विषय है  और उस अव्यवस्थित जन जीवन को वापस सही करना भी अपने आप में एक चुनौती होता है.




अत: अब ऐसे में हमें इसे रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयास करने होने तभी जाकर मनुष्य का अस्तित्व सुरक्षित रहेगा वरना इस भौतिकता के लालसावादी युग में हमें अपने अस्तित्व के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा ..




No comments:

Post a Comment